इस पल के आंनद लीजिये, जवानी के बसन्त कभी वापस नही आते।

जिंदगी के पड़ाव में एक उम्र ऐसी भी आती है जहाँ एक लड़का दिल हार बैठता है।
या यूं कहिये कि युवक किसी युवती को (या युवती भी किसी युवक को ) दिल दे बैठती है।
[संभावनाएं दोनों ही है खैर लड़की जाहिर ना करे वो अलग बात है।]

शुरुवाती समय मे छोटी छोटी सी नोंक झोंक पर दोनों का एक-दूसरे की ओर आकर्षित होना,कसम से…! बड़ा गजब का समय होता है।

किसी ने बहुत खूब कहा है

“प्यार ने डूबे मजनू की नजर में दुनियाँ की कुल जनसंख्या सिर्फ एक  है।”

ऐसी रोमांटिक कल्पनाओं में वो जीवन की कई शाम गुजार देता है।
दोनों का फोन के माध्यम से पत्राचार होना भी शुरू हो गया।
सोशल मीडिया के नामी एप्प ‘मार्क जुकरबर्ग’ के व्हाट्सएप ओर इंस्टाग्राम के चैटिंग बॉक्स में दोनों की अलग सी दुनियाँ बस रही है।
लड़की सिर्फ गुड मॉर्निंग कहे, ओर लड़का उसे गुड नाईट तक का सफर कराने को तैयार है।

बातें हो रही है अथाह बातें, एक दूसरे के भूत,भविष्य और वर्तमान की चाह जानने वाले दोनों जन सब कुछ जान रहे है।
(एक जन ये जिद्द करता है कि आपकी आवाज सुननी है या आपको देखने का मन है)

तो अब बात मैसेज से कॉल – विडियोकॉल पर आती है।
शुरुवाती दिनों में फ़ोन की पहली रिंग बजते ही फोन उठ जाता है,कॉलरट्यून अच्छी है कहते हुए बातें प्रारम्भ होंगी।
सफर हफ्ते में एक बार 1 घण्टे की कॉल से शुरु होकर प्रतिदिन 2 कॉल 20-20 मिनट पर आ जाता है।
इन बीच एक-आध बार वीडियोकॉल भी संभवतः कर ली जाती है।
कुछ टाइम बाद बातें इतनी हो चुकी है कि शायद अब मन फोन पहली रिंग कि बजाय अंतिम रिंग पर उठे।
ये भी चलेगा कम से कम फोन उठ तो रहा है ।
लेकिन पहले बातें होती थी सब सिर्फ बात होगी 2 मिनट ।
ऐसा भी दिन आएंगे की तुम कॉल करो शायद वो ना उठाएं, तुम इंतज़ार में होगा कि कबूतर के हाथ चिट्ठी भेज के की ही सही कम से कम ये तो कहेंगी – हाँजी बताओ आप कॉल कर रहे थे? मैं उठा नही पायी।

मन तब उदास होगा, जब न कॉल का उत्तर मिले ओर ना ही उनकी ओर से किसी प्रकार का व्हाट्सएप्प/इंस्टाग्राम रूपी कबूतर सन्देश लेके आए।

खैर आप प्रयास कीजिये और अपने इस बेरंग जिंदगी में रंग भरते रहिये।

कवि की वो पंक्तियाँ रट्टा मार के कहते रहो- लहरों से डरकर नौका कभी पार नही होती,
कोशिश करने वालों कि कभी हार नही होती।

आप भी उम्र के इस पड़ाव में है तो मेरे मित्र समय का आनंद लीजिये, जवानी के बसंत कभी वापस नही आते। नोंक झोंक ही सही लेकिन उन से बात चीत बनी रहनी चाहिए।

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अंकित टमटा email-ankittamta34@gmail. com https://instagram.com/ankit_tamtaa?utm_medium=copy_link

मर जाना एक त्रासदी है,अंत है, दुःख सहित खुशियों का भी -आत्महत्या एक पाप

“I wish life had an undo button like computer”
अवसाद में लिया गलत निर्णय जिंदगी तबाह कर सकता है।

जीवन लीला खत्म करने का निर्णय लेना आसान है लेकिन आत्महत्या के अंतिम क्षणों में सिर्फ पछतावा होता है।

मर जाना एक बहुत बड़ी त्रासदी है, शायद सबसे बड़ी। तमाम दुख, तकलीफें, खुशियां, असंतुष्टि, नेम, फेम या बदनामी का अस्तित्व तभी तक है, जब तक सांसें चल रही हों। एक बार दम निकला नहीं कि सब कुछ निरर्थक हो जाता है। फिर भी लोग मर जाते है, ख़ुशी-ख़ुशी। पूरे होशो-हवास में जान जैसी चीज़ लुटा देते हैं, जिसको वापस पाने का कोई ज़रिया नहीं ।

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